मयंक पगलिया जी
(लेखक चीकू के पापा हैं)
no bye baba.. hello hi baba..
बाय बाबा नहीं:मजरूह सुल्तानपुरी ने एक गीत लिखा था फिल्म अभिमान के लिए शायद इस सिचुएशन (बाय बाबा नहीं)पर फिट बैठ रहा है अरबी का एक शब्द है मुलाहज़ा तो इसको फरमा लीजिए ..लता मंगेशकर ने गाया है राग मांड पर आधारित है और संगीत दिया है सचिन देव बर्मन ने गाने के बोल हैं
अब तो है तुमसे हर खुशी अपनी
तुमपे मरना है ज़िंदगी अपनी
ओ ओ अब तो है तुमसे …
जब हो गया तुमपे ये दिल दीवाना
अब चाहे जो भी कहे हमको ज़माना
कोई बनाये बातें चाहे अब जितनी
ओ ओ अब तो है तुमसे …
तेरे प्यार में बदनाम दूर दूर हो गये
तेरे साथ हम भी सजन, मशहूर हो गये
देखो कहाँ ले जाये, बेखुदी अपनी
ओ ओ अब तो है तुमसे …(मजरूह सुल्तानपुरी )
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विधानसभा में जब अखिलेश बाबा की तरफ बढ़ते हैं बेशक शिष्टाचार के नाते, मगर किंतु परंतु और लेकिन मीडिया ने इस बॉडी लैंग्वेज के तमाम मायने निकाल डालें और निकाले भी क्यों ना क्योंकि हमारी हर चितवन और थिरकन का कोई ना कोई मतलब होता है.. हम क्या कहना चाहते हैं क्या करना चाहते हैं और सामने वाला उसे किस अंदाज से ले रहा है, यह मानसिकता दुआ सलाम लेने और देने वाले दोनों की अपनीअपनी होती है, हो सकता है किसी के लिए आप सीरियस हों… हो सकता है आप किसी के लिए नॉन सीरियस आइटम हों .. बाय बाबा नहीं चलो खैर अंत भला तो सब भला बाय-बाय बाबा कहने वाले अखिलेश ने खुद बाबा को हाय बोला यह अच्छी बात है इसकी सराहना होनी चाहिए।