अरुणा मनवर
तीन अक्षरों का अरुणा मेरा नाम …
बिल्कुल तुझ जैसा कविता.
मेरे शब्द मेरा मौन मेरा चिंतन तेरा रूप तेरी काया..
तू ही तो है मेरी व्याख्या.. स्पंदन से हल्की
ध्वनि सरीखी चितवन सी तू
बिछड़ो की विरह तू ..
प्यासों का गीत ..पपीहे का मीत..
इतना छोटा नाम फिर भी सागर की अनंतता.
क्या कहूं क्या लिखूं मेरा भाव मेरा आभाव.. मेरे मन के दर्पण का प्रभाव .
मेरी रूह, सांसे मेरी बातें मेरी व्याख्या ,सुकून और उदासी..
दिमाग में हिलोरें मारती लहरें क्या लिखूं क्या कहूं ..
अभिव्यक्ति अभिव्यंजना मिमांसा परिभाषा रस और रचना
सबके मन की किताब है तू कविता
कविता दिवस तुझे मुबारक कविता
(अंतर्राष्ट्रीय कविता दिवस के उपलक्ष्य में)