मनमोहन सिंह के मायने क्या हैं याद रखिए

हफीज़ किदवई

कोई करे या न करे,यह तस्वीर कम से कम केजरीवाल को तो अपने ड्राइंगरूम में लगा लेनी चाहिए । यह तस्वीर उन्हें बताएगी की सभ्य होना किसे कहते हैं । एक देश का जिम्मेदार नागरिक होने किसे कहते हैं । यह तस्वीर तो वैसे सबके लिए मायने रखनी चाहिए कि जब बात आइडिया ऑफ इंडिया को कोई नुकसान पहुँचाए, तो उसके लिए किस शिद्दत से लड़ना चाहिए ।

डॉक्टर मनमोहन सिंह पर उस वक़्त केजरीवाल ने कौन सा हमला नही किया । रोज़ सुबह उठकर डॉक्टर साहब पर कीचड़ उछालना ही उनका शगल था । मैं उन दिनों को याद करके,किसी को ज़लील करना नही चाहता । यमुना में वाक़ई बहुत पानी बह गया है । अब चीज़ें बदल गई है, राजनीति बदल गई,देश की उस किताब पर संकट आ गया है, जो हमने बाबा साहब से लेकर सर आंखों पर रखी थी और कहा था कि इसके पन्नो से ही चलेंगे हम और यही हमारी दिशा तय करेगी ।

जब दिल्ली के अधिकारों की कटौती के लिए कानून लाया जा रहा था । जब चुनी हुई सरकार को कठपुतली बनाने की तमन्ना पर मेज़ें थपथपाई जा रही थीं । तब वही कॉंग्रेस थी,वही मनमोहन सिंह थे,जो खड़े होकर इसका विरोध कर रहे थे । यह उन मनमोहन सिंह की तस्वीर है, जिसपर किसने नही कीचड़ उछाला, मौन मोहन कहते कहते ज़ुबान किसकी नँगी नही हुई,कल वही मनमोहन व्हीलचेयर पर बैठकर,उस दिल्ली के लिए लड़ रहे थे,जिसने उन्हें एक से एक तमगे दिए ।

मैं यह तस्वीर इसलिए सहेजने को कह रहा हूँ,क्योंकि यह आपकी प्रतिबद्धता को बतलाती है । यह पूरे देश को देखनी चाहिए कि हमें कितना लड़ना है । मनमोहन जी के पास विकल्प था कि वह घर में रहते । बीमार थे,उनसे कोई सवाल नही करता । कोई नही पूछता की वह क्यों नही आए । मनमोहन जी को पता था कि उनकी पार्टी के पास बहुमत नही है । उनके पक्ष के पास बहुमत नही है । वह आए या ना आए,कानून तो बनेगा ही बनेगा,मगर यह होता है विचार,भले मैं अकेला खड़ा रहूँ,मगर उसके विरुद्ध खड़ा होऊंगा,जो ग़लत है ।

मैंने अपने छोटे से जीवन में, जिस एक व्यक्ति को शराफ़त से सियासत करते देखा है । जिसको आम लोगों के लिए हर बेहतरी के दरवाजे खोलते देखा है । जिसे देश की तरक्की के लिए बड़े बाज़ारों के बंद तालों को खोलते देखा है । कल उसे सदन में व्हीलचेयर पर देखकर और हिम्मत बढ़ गई,की चाहे जितना कठिन वक़्त आ जाए,हमें ऐसे ही लड़ना होगा ।
मनमोहन सिंह जी ने दिखा दिया कि मुल्क से मोहब्बत सिर्फ सोफे पर बैठ कर नही की जाती,सिर्फ खेत खलिहान में पेड़ के नीचे लेट कर की नही जाती, उसके लिए खड़े होना पड़ता है । भले ही आपकी सांसे, आपका जिस्म,आपको बेतहाशा होता दर्द रोके, मगर आपको रुकना नही है, खड़े होकर विरोध करना है । यह जानते हुए की हम हार जाएँगे,मगर अंत तक सत्य के साथ चलना है ।

यह तस्वीर मनमोहन सिंह जी की चीख चीख कर कह रही है, की सदन में सत्य हारा भले है, मगर वह अकेला नही था । व्हीलचेयर पर एक बूढ़ा लीडर,जिसपर कितने ही लांक्षन लगाए गए,वह डिगा नही और अपनी सारी हिम्मत बटोर कर,सत्य के साथ खड़ा हुआ । इस एक तसवीर पर केजरीवाल जैसे लाखों लोगों को आत्मग्लानि होनी चाहिए, पश्चाताप होना चाहिए और इस व्यक्ति के सम्मान में कम से कम इतना तो कहना चाहिए,जितना उसे ज़लील करने में शब्द उछाले थे ।

मनमोहन सिंह कहते थे कि जब वह नही होंगे, लोग उनके वक़्त को,उन्हें याद करेंगे मगर यह तो उनकी ज़िंदगी में ही हो गया कि लगने लगा । हमने सबसे खूबसूरत वक़्त देख लिया । आप अद्वितीय हैं, आपकी इज़्ज़त सिर्फ करनी नही होगी, कहनी भी होगी,रोज़ कहनी होगी,हर सुबह उठकर करनी होगी….

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फोटो -सोशल मीडिया