*अरुणा मनवर* ये एक थी टिहरी नहीं..ये है, एक है टिहरी… जो जिंदा है,,,तुम्हारी रग रग में.. पग पग मेंतुम्हारे दिन में,, रात में..इक इक साँस में…. घड़ी की टिक टिक मेंसबके सवालों की झिक झिक में.. पसीने की टपकती हर इक बूंद मेंमन के भावों की एक एक मूँद …
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