Peeyoosh Mayank
उत्तर प्रदेश में इस वक्त समाजवादी पार्टी के सहयोगी दलों में बयान बाजी और अलग रहने की रणनीति पर चर्चाएं तेज हो गई है, महान दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव देव मौर्य ने समाजवादी पार्टी से अपना नाता तोड़ लिया है अपने बयान में केशव देव मौर्य ने आरोप लगाया है कि अखिलेश यादव ने गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया है इसलिए महान दल गठबंधन से अलग होने का निर्णय लिया है , वहीं दूसरी ओर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पीयूष मिश्रा ने भी समाजवादी पार्टी पर अनदेखी का आरोप लगाया है! पीयूष मिश्रा का कहना है कि समाजवादी पार्टी अपने को बड़ा दल मान रही है! इसलिए वह छोटे दलों को कोई महत्त्व नहीं दे रही है, इसके पीछे कलह का कारण एमएलसी चुनाव है उधर आजमगढ़ के लोकसभा उपचुनाव में स्टार प्रचारकों की सूची से शिवपाल सिंह यादव का नाम नहीं होना भी समाजवादी पार्टी के अंदर मचे घमासान की ओर इंगित कर रहा है, ताजा घटनाक्रम में शिवपाल सिंह यादव ने भी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी को एक बार फिर मजबूती से खड़ा करने में जुट गए हैं!
शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव की राहें करीब-करीब अलग हो चुकी हैं ?विधानसभा मे बजट सत्र के दौरान समाजवादी पार्टी का कोई भी विधायक मिलने नहीं जाता था, इस उपेक्षा से आहत होकर शिवपाल सिंह यादव ने निकाय चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है, समाजवादी पार्टी के सबसे भरोसेमंद साथी ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर ने भी समाजवादी पार्टी पर उपेक्षा के आरोप लगाए हैं! आगामी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की 80 सीटों के लिए जब 2024 मे चुनावी रण होगा तब समाजवादी पार्टी के समक्ष यही असंतोष और गुटबाजी पार्टी के लिए नासूर बन सकती है जिस प्रकार से मोहम्मद आजम खान को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुस्लिम समुदाय के लोग समाजवादी पार्टी के ऊपर आरोप लगा रहे थे !उस प्रकरण से समाजवादी पार्टी अभी तक पूरी तरह उबर नहीं सकी है, विधानसभा की 110 सीट जीतने के बाद भी समाजवादी पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव के संग्राम मे कितना गंभीरता से लड़ेगी? यह उसके राजनीतिक कौशल की अग्नि परीक्षा होगी लेकिन !राजनीतिक विशेषज्ञों और सूत्रों कहना है कि समाजवादी पार्टी के अंदर परिवारवाद का मुद्दा 2024 में भी उठेगा? समाजवादी पार्टी को भले ही कपिल सिब्बल का साथ मिला हो लेकिन परिवारवाद के चक्रव्यूह को तोड़ पाना किसी चुनौती से कम नहीं है?