भारत भूषण काटल
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हिंदी फिल्मों के एक ऐसे अदाकार की बात जिन्होंंने 50 की दहाई में फिल्मों में कदम रखा और देखते ही देखते हिंदी फ़िल्मों में छा गया। जी हां हम बात कर रहे हैं जॉनी वाॅकर जी की इनका असली नाम बद्दुरूदीन जमालुदीन काज़ी था, ये अपने 12 भाई बहनों में दुसरे नम्बर पर थे इनका जन्म इंदौर में हुआ था इनका जन्म 1924 बताया गया है। इनके पिता जी की नौकरी छूट जाने पर यह सब लोग मुम्बई चले आए। रोज़गार की तलाश में जॉनी वॉकर जी ने कुछ छोटे मोटे काम किए और फिर बस सहचालक की नौकरी करने लगे। बस में ये मुसाफरों से हंसी मज़ाक और अपनी ही अदा से पेश आते जिसकी वजह से यह काफी पसंद किए जाते थे। एक बार उसी बस में बलराज साहनी जी की नज़र इन पर पड़ी वो उन दिनों गुरु दत्त जी के लिऐ फिल्म बाज़ी की कहानी पर काम कर रहे थे। उन्हों ने जॉनी वॉकर जी को गुरु दत्त जी से मिलवाया और इनको फिल्म में ले लिया गया।
गुरु दत्त जी ने ही इनका नाम जॉनी वॉकर एक स्कॉच व्हिस्की के ब्रैंड के नाम पर रखा क्यूं कि जॉनी वॉकर की शराबी की अदाकारी उनको बहुत पसंद आई। बाद में यह गुरु दत्त जी की हर फिल्म का हिस्सा रहे। कुछ ही दिनों में ये हिंदी फिल्मों के मशहुर हास्य कलाकार बन गए और कहते हैं इनको फिल्म में रखने और इन पर फिल्म में गीत लिखने के लिए फाइनेंस करने वाले निर्माता निर्देशक पर ज़ोर दिया करते और फिल्म के लिए अधिक धनराशि उपलब्ध कराई जाती थी। ये पहले ऐसे फिल्मी कलाकर थे जिन्होंने अपना सेक्रेटरी रखने का और संडे को छुट्टी का चलन शुरू किया था।
जॉनी वॉकर साहिब बहुत अच्छे साइकिलिस्ट थे और साइकिल पर तरह तरह के करतब दिखाए करते थे इन्होंने अपना यह हुनर बहुत सी फिल्मों में दिखाया भी। पुराने ज़माने की अभिनेत्री शकीला के खानदान के सख्त विरोध के बावजूद इन्होंने शकीला की बहन नूरजहां से शादी की इनको यह अफसोस हमेशा रहा कि वो 6th क्लास से आगे पढ़ाई ना कर सके और इन्होंने अपने बच्चों की पढ़ाई पर पुरा ध्यान दिया और उनको पढ़ाई के लिए अमरीका भेजा इनके तीन बेटे और तीन बेटियां थीं इनके एक बेटे नासिर खान फिल्मों में काम करते हैं।
जाॅनी वाॅकर ने दिलीप कुमार, देवानंद, गुरु दत्त,जैसे दिगज कलाकरों के साथ बहुत काम किया। 50 और 60 के दशक में इनकी फिल्मों में तूती बोलती थी। उसके बाद 70 का दशक आते आते मेहमूद साहिब का सितारा उरूज पर आ चुका था जिससे इनकी पॉपुलरिटी में कुछ फर्क पड़ा,80 के दशक तक आते आते ये बहुत कम फिल्मों में आते रहे। इनका फिल्मी सफर 1951से 1997 तक रहा । राजेश खन्ना की फिल्म आनंद में इनकी अदाकारी का ज़िक्र ना करना इनके साथ बेइंसाफी होगी उस फिल्म में पहली बार दर्शकों ने जॉनी वॉकर को ऑन स्क्रीन रोते आंसू बहाते देखा था, इन की जन्म तिथि कहीं 1924और कहीं 1926 बताई गई है,और आखिर 2003 में बीमारी के चलते मुम्बई में इनका देहांत हुआ।
जाॅनी वाॅकर पर कुछ मशहूर गीत फिल्माए गए।
1, मेरा यार बना है दूलाह
2, सर जो तेरा चकराए
3, में बंबई का बाबू
4, जंगल में मोर नाचा।
5, यारों की तमन्ना है
5, ऑल लाइन क्लियर
6, मेरे महबूब मुझको तू इतना बता।
7, ओह मेरे यार टॉमी।
8, गरीब जान के हमको ना तुम भुला देना।
9,यह दुनिया गोल है ।
10, इक मुसाफिर को दुनिया में क्या चाहिए।