योगी मोदी बनारस में नहीं बन पाए सुदामा के लिए कृष्ण

वाराणसी की एम एल सी सीट भाजपा हार गयी

Peeyoosh Mayank

उत्तर प्रदेश विधान परिषद चुनाव मे वाराणसी सीट बीजेपी ने गवा दी है ,भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार सुदामा पटेल लड़ाई से बहुत पहले ही बाहर हो चुके थे !बकौल उनके उनकी हार की पटकथा बहुत पहले ही लिखी जा चुकी थी, जब भारतीय जनता पार्टी ने बृजेश सिंह के परिवार को विधान परिषद का टिकट नहीं दिया तो बृजेश सिंह ने बतौर निर्दलीय उम्मीदवार अपना नामांकन दाखिल किया था क्योंकि बृजेश सिंह की छवि दागदार है और उनके खिलाफ कई आपराधिक मुकदमे भी दर्ज हैं, चुनाव में किसी भी प्रकार का कोई व्यवधान ना पड़े इसलिए उन्होंने अपने साथ अपनी पत्नी अन्नपूर्णा सिंह को चुनावी मैदान में उतार दिया और चुनाव होने से कुछ दिन पूर्व ही अपना नामांकन वापस ले लिया था वैसे भी माफिया बृजेश सिंह का पूरा परिवार राजनीति से जुड़ा हुआ है, उनके भाई उदय भान सिंह उर्फ चुलबुल सिंह 1998 में पहली बार एमएलसी बने थे इसके बाद बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह 2010 में बसपा के टिकट पर एमएलसी चुनाव जीती थी फिर 2016 में बृजेश सिंह ने अपनी किस्मत आजमाई और चुनाव जीत गए उस समय भारतीय जनता पार्टी ने बृजेश सिंह के खिलाफ कोई प्रत्याशी खड़ा नहीं किया था .

बृजेश सिंह के भतीजे और वर्तमान में सैयद राजा विधानसभा के विधायक सुशील सिंह तीसरी बार विधायक निर्वाचित हुए हैं इतने बड़े सियासी परिवार के आगे बीजेपी ने इतने कमजोर प्रत्याशी को मैदान में क्यों उतारा !राजनीतिक जानकारों को इसमें भी राजनीति की बू आ रही है ,क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी सुदामा पटेल ने एक बार नहीं बल्कि !कई बार पत्रकारों से बातचीत में स्वीकार किया था कि बृजेश सिंह बाहुबली हैं! और उनके पास धन और बल की कोई कमी नहीं है ,और मुझे पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता भी सहयोग नहीं कर रहे हैं !इन सारे हालातों को देखते हुए सिर्फ योगी और मोदी के आशीर्वाद से चुनाव जीत सकता हूं! लेकिन अपनी जीत को लेकर भाजपा प्रत्याशी हमेशा सशंकित रहे”, संगठन में सुदामा पटेल को लेकर कोई दिलचस्पी कभी भी नहीं दिखाई दी सूत्रों के अनुसार सुदामा पटेल को सिर्फ राजनीतिक रूप से इस्तेमाल किया गया था, इतना कमजोर और लचर प्रदर्शन भाजपा जैसी राजनीतिक पार्टी को कैसे हजम हो सकता है जहां से देश के प्रधानमंत्री उस संसदीय क्षेत्र का नेतृत्व कर रहे हो आखिरकार अन्नपूर्णा सिंह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीत गई और लाखों सवाल छोड़ गई !लेकिन बहुत मुमकिन है ,कि भाजपा परिवार में लौट आएं !और सुदामा पटेल राजनीति की इस क्रूरता और अवसरवादी गठजोड़ की गांठ को शायद ही कभी खोल पाए