पंछी पिंजरा तोड़ के चला गया, 72 साल के पंकज उदास ने हम सबको किया उदास
पंछी पिंजरा तोड़ के चला गया

Pankaj Udhas: पंछी पिंजरा तोड़ के चला गया,72 साल के पंकज उधास ने हम सबको किया उदास

साभार न्यूज़ वायरस

Pankaj Udhas: हम सबको नाम फिल्म का वह गाना याद है जिसका आज तक कोई सानी नहीं है .. परदेस में रहने वाला हर शख्स और उसकी याद करने वाले उसके घर के लोग हमेशा यही कहते हैं चिट्ठी आई है चिट्ठी आई है.. इस गाने की एक लाइन है तूने पैसा बहुत कमाया इस पैसे ने देश छुड़ाया देश पराया छोड़ के आजा पंछी पिंजरा तोड़ के आजा… और आज इसी पंछी ने इस इंसान रूपी पिंजरे को छोड़कर परमात्मा में लीन हो गया.. लेकिन Pankaj Udhas: पंछी पिंजरा तोड़ के चला गया की मकबूलियत , उनकी मीठी आवाज़ और इस गाने की तासीर दिल में अपनों से मिलने की वो तड़प जगाती है.. जो दावे के साथ कहना है कि ऐसी तड़प कोई न जगा पाएगा…

खूबसूरत सूरत के मालिक – उतना ही दिलकश अंदाज़ ए बयां भी …

अजीब संयोग है कि इसी गाने की एक लाइन इस साल की आने होली में आपका सीना चाक़ कर देगी और वो ये – “तेरे बिन आई होली पिचकारी से छूटी गोली” ये बानगी है उनकी बयानगी की अदायगी की .. महसूस कीजिए जितनी खूबसूरत सूरत के वो मालिक थे उतना ही दिलकश अंदाज़ ए बयां भी था…

आत्मा छोड़ चली पिंजरा

मोहब्बत करने वालों का तराना था-Pankaj Udhas

ना कजरे की धार ना मोतियों के हार फिर भी इतनी सुंदर हो… जितना खूबसूरत लिखा गया है उतना ही लरज़ता हुआ बयां किया गया है..

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शराब के शौकीनों के लिए

“एक तरफ उसका घर एक तरफ मयकदा”.. “पियो लेकिन रखो हिसाब के थोड़ी-थोड़ी पिया करो”.. अब आप ही बताइए पंकज उधास जी ने सबके लिए कुछ ना कुछ कहा था फिर वह चाहे मोहब्बत हो ,आशिकी हो या शराबियों की शराबियत हो..

एक तरफ उसका घर एक तरफ मयकदा

तमाम मीडिया की सुर्खियों में उनके जीवन के आगे की पीछे की कहानी पेश की जा रही हैं लेकिन आप सोच कर देखो जो आप महसूस कर रहे हों हम यहां पर वही बयां करने की कोशिश कर रहे हैं..
पंकज जैसी तबीयत के मालिक थे तभी तो उनके जैसा पिता ही अपनी बेटी का इतना अलहदा नाम रख पाता है .. जिसका नाम नायाब है और दूसरी बेटी का नाम रेवा है.. पंकज जी ने जिनसे मोहब्बत की शादी भी उन्हीं से की और उनकी हम जुल्फ का नाम फरीदा है जो इस वक्त अब उनके नाम के साथ उन्हें महसूस करते हुए उनकी गज़लों जैसी जिंदा हैं…

गायकी परिवार से विरासत में मिली थी.

11 साल की उम्र में 5000 लोग सुनने आए थे

भारत चीन का युद्ध चल रहा था और इस वक्त सारे मीडिया ने यही बताया है कि उनकी उम्र महज 11 साल थी और राष्ट्र कवि प्रदीप ने जो गीत लिखा था “ऐ मेरे वतन के लोगों”.. तो जब उन्होंने गाया तब उनको सुनने के लिए 5000 लोगों की भीड़ जुट आई थी और इस भीड़ से एक सुनने वाली हस्ती ने उस ज़माने में उनको 51 रुपए दिए थे ..जोड़ लीजिए आज के हिसाब से वह रकम कितनी बैठती है .. यानी कि उस शख्स ने महसूस कर लिया था कि पंकज कितने कीमती हैं अपने फ़न की हुनरमंदी में.. गायकी उन्हें अपने परिवार से विरासत में मिली थी.. उनके भाई मनहर उधास उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में लेकर आए थे मतलब कि बड़े भाई ने ये बचपन में ही जान लिया था कि उनके परिवार और देश का नाम एक ऐसे फ़नकार के नाम पर लिया जाएगा जहां पर कोइ दूसरा पंकज उधास पैदा नहीं होगा इसलिए आज हम सब उदास हैं।

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