रामेंद्र सिंहवरिष्ठ पत्रकार बात कोई 13 वर्ष पहले की है। मैं अमृतलाल नागर की “ये कोठी वालियां” पुस्तक पढ़ रहा था। तभी मेरे मन में विचार आया क्यों ना इस पेशे से जुड़ी हुई महिलाओं के अंतर्मन के दर्द पर एक 30 मिनट की स्टोरी की जाए। क्योंकि दुनिया उनका …
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