अगर तुम पर न होता एतबारतो न करती कोई शिकवा इतने यकीन से.. ऊपरवाले नीचे आजरा बैठ मेरे पास एक एक दिन देख मेरा जैसा गुजार के…नही तो रुक थोड़ा..एक दिन आऊंगी ऊपर जरूर.. also Read- बस यही ज़िंदगी … फिर बैठ कर होगा जिंदगी का हिसाब मेरे हर कड़े …
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बस यही ज़िंदगी …
आईने में खुद को देखकरसोचती रहती हूँ,क्या खोया क्या पायाअक्सर तौलती रहती हूँ। कुछ चेहरे, कुछ बातेंकुछ भूली बिसरी यादें,ढूंढ रही हैं मुझेक्या सही था क्या गलत पूछ रही हैं मुझसे जो पीछे मुड़ के देखा तोकुछ यादें बुला रही थींअब तक के सफर कीबता रही थीं सारी बातें कितनी …
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