सच

सच लिखूँ तो
कविता झूठी हो जाती हैं
झूठ लिखूँ
रिश्ता बेमानी हो जाता है
कशमकश तो है
फिर भी दिल ने यही चाहा है
कि तुम हमेशा
मेरी कविता में जीवित रहो

डाॅ.अनिता कपूर
कैलीफोर्निया अमेरिका
संस्थापिका- ग्लोबल हिंदी ज्योति
लेखक,कवि पत्रकार