सात महीने की बच्ची:डॉक्टर के साथ ही जब माता-पिता को पता चला कि उनकी 7 महीने की बच्ची टीवी का शिकार है तो सभी हैरत में पड़ गए।केंद्र और राज्य सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी हमारे समाज से टीबी का रोग दूर नहीं हो पा रहा है और हम सभी के लिए यह गंभीर चुनौती बना हुआ है। दरअसल कोटद्वार में टीबी का ऐसा मामला आया है जिसे देख डॉक्टर और माता भी हैरान हैं।
सात महीने की बच्ची में मिले ट्यूबरक्लोसिस के लक्षण
केवल सात महीने की बच्ची में टीबी (ट्यूबरक्लोसिस) के प्रारंभिक लक्षण दिखाई दिए हैं। बच्ची का डॉट्स ट्रीटमेंट शुरू करने से पहले बाल रोग स्पेशलिस्ट की ओर से अब अन्य जांचें भी कराई जा रही हैं
माता-पिता ने बताया कि उनकी बच्ची को 15 मई को टीका लगा था और तभी से लगातार बुखार आ रहा है। कोटद्वार के आम पड़ाव के रहने वाले एक दंपति की सात महीने की बेटी टीवी के रोग से आश्चर्यजनक रूप से पीड़ित पाई गई है उन्होंने बताया कि 15 मई को बेस अस्पताल में उन्होंने अपनी इस बच्ची का टीकाकरण कराया और उसके बाद से बच्ची को बुखार आया तो माता-पिता बच्ची को इलाज के लिए बेस अस्पताल ले गए जहां पर बाल रोग विशेषज्ञ डाॅ. हरेंद्र कुमार ने इलाज किया लेकिन बच्ची के स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ तो वो 21 मई को बच्ची को नजीबाबाद में एक निजी बाल रोग विशेषज्ञ के पास ले गए।.
प्राइवेट डॉक्टर ने बच्ची का मंटौक्स टेस्ट किया जिसमें टीबी (ट्यूबरक्लोसिस) की पुष्टि हुई। इसके बाद परिजन कोटद्वार आए और बेस अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ डाॅ. सुशांत भारद्वाज से संपर्क किया। मात्र सात महीने की बच्ची को टीबी होने पर डॉक्टर भी हैरत में पड़ गए। परिजनों से पूछताछ में पता चला कि उनके परिवार की कोई टीबी हिस्ट्री नहीं है। बाल रोग विशेषज्ञ का मानना है कि किसी परिवार की अगर टीबी हिस्ट्री न हो, तो वहां इतने छोटे बच्चे का ट्यूबरक्लोसिस से पीड़ित होना सोचने वाली बात है बताया जा रहा है कि अब
अस्पताल में बच्ची का अब सीबी नेट टेस्ट किया जाएगा। इसकी रिपोर्ट यदि पाॅजीटिव आती है तो फिर बच्ची का टीबी उपचार शुरू कर दिया जाएगा। इसके तहत बच्ची का एटीडी (एंटी ट्यूबरक्लोसिस ट्रीटमेंट) शुरू किया जाएगा। बच्ची को उम्र और वजन के हिसाब से टेबलेट पीस कर दी जाएगी। दरअसल मंटौक्स टेस्ट के बाद सीबी नेट टेस्ट कराने में 10 दिन का अंतर होना चाहिए। इसलिए अभी इंतजार किया जा रहा है। अगर सीबी नेट टेस्ट की रिपोर्ट निगेटिव आती है तो कुछ समय बाद एक बार फिर मंटौक्स टेस्ट किया जाएगा।
जानिए मंटौक्स टेस्ट के बारे में
इस टेस्ट में मरीज के हाथ पर इंजेक्शन लगाया जाता है। अगर इस जगह पर अगर लाल रंग का घेरा पाया जाता है तो पीड़ित को ट्यूबरक्लोसिस होने की पुष्टि हो जाती है।
बच्ची के पिता ने बताया कि जन्म के तुरंत बाद उसे बेस अस्पताल कोटद्वार में पहला टीका 11 नवंबर, 2023 को, दूसरा टीका 28 फरवरी, 2024 को और तीसरा टीका इसी महीने 15 मई को लगा था। तीसरे टीके के तीन दिन बाद बच्ची को बुखार हुआ। उपचार के बाद बुखार तो उतर गया लेकिन बच्ची की तबीयत में सुधार नहीं हुआ।