उत्तराखंड में लगातार :तीसरी बार बीजेपी की पांचो सीटें बरकरार। मुख्यमंत्री धामी ने पूरे देश में घूम घूम कर बीजेपी का प्रचार किया, हालांकि उत्तराखंड में वह बेहद कम समय दे पाए लेकिन इसके बावजूद भी पांचो लोकसभा सीटें बचाने में कामयाब रहे।
चौथी बार रानी का दबदबा बरकरार टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट पर बीजेपी की माला राज्य लक्ष्मी शाह ने चौथी बार जीत दर्ज की है। राज्य लक्ष्मी शाह 2012 में टिहरी उपचुनाव जीती थी, इसके बाद 2014 औऱ 2019 में भी उन्होंने जीत दर्ज की थी।
यहां जोत सिंह को करारी हार का सामना करना पड़ा 2024 के आम चुनाव में माला राज्य लक्ष्मी शाह ने कांग्रेस के जोत सिंह गुनसोला को 2 लाख 68 हजार से ज्यादा वोटों से ज्यादा अंतर से हराया। इस तरह आम चुनावों में रानी राज्यलक्ष्मी शाह ने जीत की हैट्रिक जमाई है। टिहरी लोकसभा सीट पर राजशाही का दबदबा अभी भी है।
राज्यालक्ष्मी को 455949 वोट पड़े जबकि जोत सिंह गुनसोला को 187602 वोट पड़े। सबसे चौंकाने वाला प्रदर्शन निर्दलीय प्रत्याशी बॉबी पंवार ने किया है। पहली बार किस्मत आजमाने निकले बॉबी पंवार 162469 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे।
उत्तराखंड में हरिद्वार से चमकी त्रिवेंद्र की किस्मत
हरिद्वार लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बाजी मार ली है। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व सीएम हरीश रावत के बेटे वीरेंद्र रावत को 1 लाख 64 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया।
मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत को पार्टी में बडी जिम्मेदारी का इंतजार था। बीजेपी ने उन्हें निशंक का टिकट काटकर हरिद्वार से मैदान में उतारा था। त्रिवेंद्र के लिए हरिद्वार में पैंठ बनाना आसान नहीं था, लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान कड़ी मेहनत औऱ सांगठनिक अनुभव के चलते त्रिवेंद्र ने हरिद्वार का मैदान जीत लिया।
हरिद्वार से त्रिवेंद्र को कुल 6 लाख 53 हजार 808 वोट पडे जबकि कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह रावत को 4 लाख 89 हजार 752 वोट मिले। इस तरह त्रिवेंद्र ने 1,64,056 से वोटों से जीत दर्ज की। पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी थी, इस वजह से हरिद्वार के ज्यादातर अल्पसंख्यक वोट कांग्रेस के पक्ष में रहे। उमेश को 91188 वोटों से संतोष करना पड़ा.
अजय भट्ट 33 45 48 से जीते
इलेक्शन में तमाम विरोधों के बावजूद अजट भट्ट न केवल अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे बल्कि उत्तराखंड में सबसे ज्यादा अंतर से जीत दर्ज करके अपनी छवि बनाने में कामयाब रहे। नैनीताल ऊधमसिंह नगर लोकसभा सीट पर भाजपा के अजय भट्ट ने कांग्रेस के प्रकाश जोशी को 334548 वोटों के बड़े अंतर से हराया।
काउंटिंग शुरू होते ही अजय भट्ट ने इकतरफा बढ़त बनानी शुरू कर दी थी। कांग्रेस के प्रकाश जोशी ने टक्कर देने की बराबर कोशिश की लेकिन जैसे जैसे गिनती के राउंड बढ़ते गए अजय भट्ट की जीत का अंतर भी बढ़ता गया। भट्ट को कुल 7 लाख 72 हजार 671 वोट मिले जबकि प्रकाश जोशी को 4 लाख 38 हजार 123 वोट पड़े
मालूम हो कि चावन से पहले और चुनाव में भी अजय भट्ट को अग्निवीर योजना, आपदा, बाध का आतंक के मुद्दों पर लोकल जनता ने सांसद अजय भट्ट को खूब घेरा था। इन मुद्दों पर अजय भट्ट के खिलाफ जबरदस्त हवा थी। मोदी फैक्टर और संगठन के दम पर अजय भट्ट सभी मुद्दों को भुनाते हुए लगातार दूसरी बार सांसद बने हैं।अजय भट्ट केंद्र में राज्यमंत्री भी रह चुके हैं। इस बार सबसे ज्यादा अंतर से चुनाव जीते हैं। अजय भट्ट रक्षा राज्य मंत्री हैं हो सकता है इस बार भी उन्हें कैबिनेट में महत्वपूर्ण पद फिर से दिया जाए।
अल्मोड़ा से अजय टम्टा भी विजयी
लगातार तीसरी बार अजय टम्टा बरकरार। अलमोडा संसदीय सीट पर भाजपा के अजय टम्टा ने लगातार तीसरी बार जीत दर्ज कर हैट्रिक जमाई है। भारतीय जनता पार्टी के अजय टम्टा ने कांग्रेस के प्रदीप टम्टा को 225893 वोटों के अंतर से हरा दिया।
अजय टम्टा औऱ प्रदीप टम्टा लोकसभ चुनाव में चौथी बार आमने सामने थे। 2009 की बात करी जाए तो उस चुनाव में प्रदीप टम्टा के खाते में ये सीट गई थी। लेकिन 2014 से अब तक यहां बीजेपी जीतती आयी है। अल्मोड़ा सीट पर सबसे कम मतदान हुआ था और कुल 6 लाख 53 हजार 896 वोट पड़े थे। इसमें से अजय टम्टा को 4 लाख 17 हजार 535 वोट मिले जबकि प्रदीप टम्टा 191642 वोटों पर संतोष करना पड़ा।
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हॉट सीट गढ़वाल से जीते अनिल बलूनी
उत्तराखंड की सबसे हॉट मानी जाने वाली गढ़वाल लोकसभा सीट पर भी बीजेपी का कमल का फूल खिला है।पौड़ी लोकसभा सीट पर बीजेपी के अनिल बलूनी भी चुनाव जीत गए हैं उन्होंने कांग्रेस के गणेश गोदियाल को 1 लाख 55 हजार 839 वोटों के अंतर से हराया। बलूनी को कुल 4 लाख 18 हजार 531 वोट मिले जबकि गोदियाल को 262692 वोट मिले। तीसरे स्थान पर नोटा रहा। पहली बार ही गढ़वाल लोकसभा से करीब 11 हजार से ज्यादा वोट नोटा को डालें गये।
बलूनी का ये पहला चुनाव है जिसमें उन्होंने जीत दर्ज की है। इससे पहले 2005 के कोटद्वार विधानसभा उपचुनाव में उन्हें हार मिली थी।