माहवारी जागरूकता,स्वाती फाउंडेशन की वास्तविक मुहिम

माहवारी बोलिए या पीरियड ये दोनों नाम हमारे समाज में आज भी फुसफुसा कर लिए जाते हैं ,हमारे भारतीय समाज में इसके कई कारण हो सकते हैं, फिलहाल सबसे बड़ा कारण पितृ सत्तात्मक सोच जिसे हम पुरुषवादी दबाव या नेतृत्व वाले समाज से उपजे समाज का हिस्सा मान सकते हैं जहां पर हमारी नारी के इस जरूरी विषय पर चुपके से और छुप छुपा कर बातें की जाती है समाज के इस व्यवहार से नारी की इस नेचुरल प्रक्रिया को समझने के बजाय दबाया जाता रहा है और वह भी तब जब हम आज चांद पर परचम लहराने की बात करते हैं और अपने घर की औरतों व बच्चियों के स्वास्थ्य के प्रति माहवारी के बारे में संकोच और शर्मिंदगी महसूस करते हैं।

समाज की इसी विडंबना और दोहरे चरित्र वाले मनोविज्ञान के बारे में मीडिया बॉक्स इंडिया की छोटी सी पड़ताल लखनऊ से होते हुए जब प्रयागराज पहुंची तब हमने तकरीबन 200 लोगों से बात करी जिनमें 90% लोगों ने यह माना कि आज भी माहवारी के बारे में उनके घरों में आपस में खुलकर कभी बात नहीं होती है यह बड़ा चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है ,इसी विषय पर आगे बढ़ते हुए जब हम सर्वे कर रहे थे तभी हमें सामाजिक कार्यकर्ता डॉ अर्चना सिंह और उनकी मित्र प्राची द्वारा उत्तर प्रदेश की पूर्व मंत्री स्वाती सिंह के स्वाती फाउंडेशन के बारे में पता चला निश्चय ही यह जानकर खुशी हुई कि इस क्षेत्र में काम कर रही कई संस्थाओं और एनजीओ के बीच वास्तविक रूप में धरातल पर स्वाति फाउंडेशन कार्य कर रही है हमने जब विस्तार से इसके बारे में जाना तो हमें यह कहना पड़ा कि
स्वाती फाउंडेशन ..स्नेहिल स्पर्श .. वास्तविक धरातल पर काम कर रहा है।

यूं तो समाज सेवा के क्षेत्र में बहुत सारी ईकाइयां और एनजीओ हैं ,जो समाज सेवा के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं लेकिन जो स्पर्श और आत्मीयता की मिसाल स्वाति फाउंडेशन ने रखी है उसकी भूमिका काबिले तारीफ है !जिन मुद्दों पर किसी भी एनजीओ और फाउंडेशन की नजर बहुत ही कम पड़ती है उन सामाजिक मुद्दों पर नए तरीके और वैज्ञानिक ढंग से सोच विचार कर और उस की गहराइयों में जाकर फाउंडेशन ने जिन मुद्दों को सामाजिक पटल पर रखा है वह सारे मुद्दे प्रासंगिक और सामयिक होते हैं !उदाहरण के तौर पर असुरक्षित माहवारी या महावारी की विसंगतियों से होने वाले सर्वाइकल कैंसर को लेकर जिस तरह की व्यापक मुहिम स्वाती फाउंडेशन ने छेड़ी है! उसकी प्रशंसा चारों ओर हो रही है!

आधी आबादी के दर्द को महसूस करते हुए फाउंडेशन ने महिलाओं के मुद्दों को लेकर जो सामाजिक ताना-बाना बुना है वह तार्किक और आत्मसात करने वाला है और इसके साथ ही स्वाती फाउंडेशन ने सारे ज्वलंत सामाजिक मुद्दों को एक मंच पर लाकर और उसकी तह में जाकर जो सामाजिक प्रयोग किया है ,वह अपने आप में अनुकरणीय है ! फाउंडेशन का उद्देश्य न सिर्फ लोगों की पीड़ा को महसूस करना है बल्कि उसके निराकरण के लिए रास्ते भी तलाशने हैं ,स्वाती फाउंडेशन की यह सामाजिक मुहिम आने वाले दिनों में प्रदेश के बाहर पूरे देश में नज़र आयगी जिसके प्रयास निरंतर जारी हैं।