अगर तुम पर न होता एतबार
तो न करती कोई शिकवा इतने यकीन से..
ऊपरवाले नीचे आ
जरा बैठ मेरे पास
एक एक दिन देख मेरा जैसा गुजार के…
नही तो रुक थोड़ा..
एक दिन आऊंगी ऊपर जरूर..
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फिर बैठ कर होगा जिंदगी का हिसाब
मेरे हर कड़े इम्तिहानों के गवाह हो तुम
क्योंकि तुम्हीं तो थे हर पल मेरे साथ ..
तुम्हारी कलम से लिखे गए सवालों को हल किया मैंने
मेरे सब्र को और ना आजमाओ , कहीं मेरी एतबार की ना टूट जाए उम्मीद
अगर बिखर गई तो समेट
नही पाओगे तुम भी
कही ये इल्जाम तुम पे ना आ जाए इसलिए मुस्कुरा लेती हूं.. तुम्हारे यकीन पे..
Author- मेरा नाम नीता शर्मा है मैं वीरों की धरती राजपूताना राजस्थान से हूं मेडिकल के प्रोफेशन से जुड़ी हुई हूं ..शौकिया तौर पर लेखन करती रहती हूं आशा है आप सभी को जीवन से जुड़ी मेरी कविताएं समझ में आएंगी और आपकी सराहना भी बटोर पाऊंगी