साल 2019 में 16 लाख से अधिक मौतों के लिए वायु प्रदूषण जिम्मेदार था. इन मौतों की वजह स्ट्रोक, डायबिटीज, फेंफड़ों का कैंसर रही थी. खराब हवा से श्वसन तंत्र पर बुरा असर पड़ता है. इससे होने वाली बामारियों में फेफड़ों की क्षमता में कमी, खांसी, थकान, कैंसर प्रमुख हैं..वातावरण और हवा में हानिकारक गैसों,धूल के कणों जैविक अणुओं के मिल जाने से प्रकृति और प्राणियों के जीवन पर खतरा पैदा होता है.. इस प्रदूषित हवा को ही वायु प्रदूषण कहते हैं
वायु प्रदूषण होता क्यों है
वायुमंडल में स्वस्थ जीवन के लिए प्राकृतिक रूप से गैसों का प्रतिशत निर्धारित है .. परंतु विभिन्न कारकों से इनकी मात्रा में कमी या ज्यादा होने से वायुमंडल प्रभावित होता है जिस कारण हवा प्रदूषण होती है वातावरण का तापमान बढ़ता है जिसे हम ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं इसका जीवन पर प्रतिकूल असर पड़ता है
वायु प्रदूषण ज्वलंत मुद्दा
देश की लगभग पूरी आबादी (1.4 अरब लोग) वातावरण और हवा में हानिकारक स्तर पर शामिल पार्टिकुलेट मैटर यानि की पीएम 2.5 कणों के होने से , जोकि सबसे खतरनाक वायु प्रदूषण है और ये विभिन्न स्रोतों से हवा में मिल रहा है.. जो भारत की अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा है..भारत में हवा में प्रदूषण फैलाने वाले सूक्ष्म कण पीएम 2.5 का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्टैंडर्ड से बहुत ज्यादा रहता है. लिहाजा, लोगों को सांस से जुड़ी गंभीर बीमारियां होती हैं.
वायु प्रदूषण के कारक
जीवाश्म ईंधन को जलाने से प्रचुर मात्रा में सल्फर डाई ऑक्साइड निकलती है और इसी जीवाश्म ईंधन के कच्चे या अधूरे दहन से वातावरण में कार्बन मोनोऑक्साइड मिल जाता है,खेती में रासायनिक प्रयोग,तमाम तरह के औद्योगिक कल कारखानों में रसायन के प्रयोग गैस और लकड़ी कोयल से जलने वाली भट्टियां… और खनन में बड़ी मशीनों द्वारा खुदाई से हवा प्रदूषित होती है क्योंकि इनके कारण हवा में धूल और रसायन न सिर्फ वातावरण को बल्कि मजदूरों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालते हैं इसके साथ ही घरों में इस्तेमाल किए जाने वाले रंग रोगन पेट प्रोडक्ट से हानिकारक केमिकल हवा में मिलते हैं जो की सांस लेने में दिक्कत पैदा कर रहे हैं..
NCAP
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम
नगरीय क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर वायु की गुणवत्ता में सुधार के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा विभिन्न मंत्रालयों और राज्यों के साथ आपसी साझेदारी में एक बड़ी पहल के रूप में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शुरू किया गया है इस कार्यक्रम में क्षेत्रीय नीतियों को लागू करने उसकी निगरानी तंत्र को मजबूत करने और प्रभावी वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए सबसे अधिक शहरों में सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ाने के लिए एक केंद्रित समयबद्ध योजना है।.. इस कार्यक्रम के तहत वायु प्रदूषण की रोकथाम नियंत्रण के साथ ही वायु गुणवत्ता की निगरानी के लिए नेटवर्क को बढ़ाना है और लोगों को जागरूक और वायु प्रदूषण को रोकने के लिए प्रशिक्षित करना है.. इस कार्यक्रम के तहत देश के 131 शहरों में 2017-18 की तुलना में 2022-23 के दौरान 88 शहरों में पार्टिकुलेट मैटर 10 सांद्रता में कमी देखी गई है