होली में बरसाना संभलकर जाना
राधा-कृष्ण का नाम लेते हूए पूरी मस्ती और उत्साह में नाचते गाते और झूमते हैं

होली में बरसाना संभलकर जाना:पहनने पड़ेंगे औरतों के कपड़े और पड़ेगा नाचना

होली में बरसाना संभलकर जाना:पहनने पड़ेंगे औरतों के कपड़े और पड़ेगा नाचनाअगर आप होली में बरसाना जाने की सोच रहे हैं तो हो जाइए सावधान होली में बरसाना संभलकर जाना पहनने पड़ेंगे औरतों के कपड़े और पड़ेगा नाचना क्योंकि अगर आप होली खेलने वाली महिलाओं के बीच में अकेले फंस गए तो पड़ सकता है आपको औरतों के कपड़े पहनकर नाचना

कुछ इस तरह आनंद गांव से आते हैं होरियारे.. Photo credit YouTube Meriradharani Barsana

होली में कृष्ण के समय से ही कान्हा और कान्हा के मित्र नंदगांव से आते थे वह परंपरा आज भी जारी है वो वह सभी गोपियों और महिलाओं को परिहास से होली के त्यौहार में चिढ़ाने वाली बातें करते थे यह मित्र मंडली वृंदावन और नंद गांव की परंपरागत पोशाकों में आते थे और गाने गाकर उन्हें उकसाने का काम करके आज भी चिढ़ाते हैं।

सज धज के हाथों में लट्ठ लेकर आ गईं गोपियां .. Photo credit YouTube Meriradharani Barsana

विदेशों से लोग इकट्ठा होते हैं

गोपियों की पोशाकों में आज भी महिलाएं वही पुरानी परंपरा निभा रही हैं और वह सभी घाघरा चोली चुनरीऔर घूंघट में रहकर इन पुरुषों का मुकाबला करती हैं और उन्हें दौड़ा लेती हैं यह सभी पुरुष बचने की कोशिश करते हैं लेकिन जब कोई इसमें से अकेला फंस जाता है तो यह सभी महिलाएं सांकेतिक रूप में उन्हें मारने लग जाती हैं जिस पर पुरुष अपने बचाव करने के लिए एक ढाल का इस्तेमाल करते हैं इस दृश्य को देखने के लिए भारत ही नहीं विदेशों से लोग इकट्ठा होते हैं ..

महिलाएं मजाकिया अंदाज में पुरुषों को लाठी या डंडों से पीटना शुरू कर देती हैं। होली में बरसाना संभलकर जाना खुद को पिटाई से बचाने के लिए पुरुष अपने साथ ढाल रखते हैं और पूरी सुरक्षा के साथ आते हैं अब सभी पुरुष भागने की कोशिश करते हैं लेकिन जिन पुरुषों की किस्मत खराब होती है वो फंस जाते हैं और उन्हें चोटें आती हैं

चोट लग जाए न ..ढाल से बचाना है..Photo credit YouTube Meriradharani Barsana

इस खेल में जो पुरुष फंस जाता है एक तरह से माना जाता है कि वह गोपियों से हार गया है इसलिए उसे अब उनके कपड़े पहनकर सबके सामने नाचना पड़ेगा यह मस्ती भरी होली देखने लायक होती है। महिला पुरुष सभी एक-दूसरे के चेहरे पर गुलाल-अबीर लगाते हैं, राधा-कृष्ण का नाम लेते हूए पूरी मस्ती और उत्साह में नाचते गाते और झूमते हैं।

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बरसाना की लट्ठमार होली के दूसरे दिन बरसाना की महिलाएं इसी तरह होली खेलने के लिए नंदगांव जाती हैं यह परंपरा आज भी कायम है और इसी कारण पूरे देश भर में बरसाना की लत मर पूरी मशहूर है क्योंकि यहां पर खेली गोली हमें बताती है की होली प्रेम और हर्ष परिहास का संस्कारों और सभ्यता से मनाया जाने वाला त्यौहार है.

तो परेशान मत होइए अगर आपको हास परिहास की पारंपरिक होली मनानी है तो बरसाना जरूर जाइए

Geet Khanna