कहानी कविता

उलझन

हेमलता पन्तजयपुर यह कहानी आप सबके लिए सुननी और देखनी जरूरी है हर किसी के साथ कभी ना कभी ऐसा हो सकता है तो फिर क्या हुआ ऐसा हेमलता जी के साथ जो कि आपको इस कहानी को पूरा सुनना और पढ़ना चाहिए देखिए सुनिए और फिर अपने दिमाग में …

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बासी रोटी

पूजा व्रत गुप्ता एक उम्र तक मुझे लगता रहाउसका नाम ही ” मेहतरानी ” हैजैसे एक थी नाइन माईंएक थी धोबिन अम्माएक थी बर्तन वालीऔर वो थी ” मेहतरानी “ मेरे बचपन मेंडलिया और झाड़ू उठायेवो रोज़ घर आतीमुँह पर धोती ( साड़ी ) का छोर टिकायेजोर से चिल्लाती” राख़ …

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स्त्री से हार गया पुरुष

अरविंद वर्मा पुरुष ने देखावह स्त्री से कमतर थापुरुष जब श्रेष्ठ होने को आतुर हुआउसने अध्यात्म चुनाअध्यात्म के लिए उसनेसबसे पहले स्त्री को ही छोड़ दियापुरुष उसी दिन स्त्री से हार गया था स्त्रीजब-जब आध्यात्मिक हुईउसने घर नही छोड़ावह रात में सोते बच्चे छोडनिकल नही आईउसने कष्टों को स्वीकार कियास्वीकार …

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मॉ

मनीष चंद्रा मॉ शब्द है पावन ..रीति नीति .. रिवाज है मनभावन…शिष्ट आचरण सीखें संस्कार जिससे..दया दान करुणा प्रेम निष्ठा स्नेह ममता सीखे भाव जिससे..हाड़ मांस की कायाजीवन ज्योति आलौकिक पुंज शिक्षा झलके जिससे.. ऐसी सृष्टि से जन्में हम सब बच्चेना तेरा है ना मेरा है मॉ शब्द सुनहरा है..

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अगली बार नहीं

नताशा हर्ष गुरनानीभोपाल_मां चलो जल्दी से तैयार हो जाओ हम सब घूमने जा रहे है। पर कहां बेटा? अरे चलो तो बेटा मेरी तबियत ठीक नहीं हैं घुटनों में दर्द है, मैं कैसे कहां घूम पाऊंगी? अरे मेरी मां चलो तो, मैं हूं ना अदिति तुम भी जल्दी तैयार हो …

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जादूगर दादा जी

आकृति त्यागी एक छोटी बच्ची को रोज अपने दादाजी के साथ पार्क में जाया करती थी। दादाजी काफी बूढ़े थे,इसीलिए खेल तो नहीं पाते थे पर एक बेंच पर जा कर बैठ जाते थे। कहानी पूरी पढ़िए फिर कहिए जादूगर दादाजी उनकी पोती,निहारिका कभी झूला झूलती,कभी स्लाइड पर तो कभी …

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असली इम्तिहान

डॉ. मनीषा पंडित पारिवारिक कर्तव्यों में उलझी हुई अपने शोध कार्य की उपेक्षा करते हुए जब मेरे गाइड ने मुझे देखा तो पतिदेव से कहा कि निर्धारित समय में ये अपना शोध ग्रंथ जमा नहीं कर पायेगी, मैं गर्भवती थी तो स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता था ।पतिदेव ने तंज …

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अपना हर दिन वैलेंटाइन संदेश

बिना प्रेम के हम कहां रह पाते हैंकश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक एक ही सुर में गाते हैंहर दिन वेलेंटाइन डे का संदेश हर दिन वेलेंटाइन डे का संदेशहम 365 दिन वेलेंटाइन वाले हैं हम कहाँ बिना प्रेम के रह पाते हैं सीमा पर प्रहरी का तिरंगे के प्रति समर्पण …

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तुम्हारे जन्मदिन पर कविता

सोचा था लिखूं तुम्हारे जन्मदिन पर कोई कवितालेकिन लेखा जोखा अपना कर डाला. इंचीटेप से नाप डाली लंबाई चौड़ाई वुजूद और ज़मीर की गहराई जिस्म बचपन बुढ़ापे और जवानी में सफ़र पर रहता है… उम्र के बहाने देखता हूं चेहरा अपना हर रोज़ दीवार से चिपके आईने में ..और अपना …

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माँ के योगदान के बिना इतिहास के पन्ने सुनहरे न होते..

माॅं शब्द सुनने लिखने में हमेशा छोटा ही नज़र आया लेकिन पुकारने में ये कितना गहरा एहसास देता है.. इस अक्षर समूह के आगे सृष्टि भी हमेशा बौनी ही नजर आई है क्योंकि इसी रिश्ते से हमारे आरंभ और अंत की पहचान जुड़ी है, इसकी महिमा का बखान शायद शब्दों …

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